जानिए असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था कैसे | Asahyog andolan pratham jan andolan tha kaise

आज के इस आर्टिकल मेंजानिए असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था कैसे Asahyog andolan pratham jan andolan tha kaise टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए असहयोग आंदोलन के कारण, असहयोग आंदोलन कब आरंभ हुआ, असहयोग आंदोलन कार्यक्रम, असहयोग आंदोलन की असफलता के क्या कारण थे और असहयोग आंदोलन कब वापस लिया गया था के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।

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Asahyog andolan pratham jan andolan tha kaise

असहयोग आंदोलन के कारण Asahyog andolan ke karan

अंग्रेजो के द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए यह वादा किया गया था कि युद्ध समाप्त होने के बाद भारत में संवैधानिक सुधार के दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त होने के पश्चात इस वादे को पूरा नहीं किया गया इस कारण भारतीय जनता अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोशित हो गई |

रोलेट एक्ट जैसे कानूनों को लाया जाना इसके अंतर्गत बिना वारंट के लोगों की तलाशी और गिरफ्तारी जैसी शक्तियां सरकार को दी गई इसे काला कानून भी कहा गया इसे बिना वकील बिना अपील और बिना दलील का कानून कहा गया |

13 अप्रैल सन 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ इसमें जलियांवाला बाग में एकत्रित लोगों पर जनरल डायर द्वारा गोरिया चलवा दी गई जिसमें हजारों लोगों की मृत्यु हुई और जनरल डायर को इसके लिए ब्रिटेन में पुरस्कृत किया गया  अंग्रेजों के इस हरकत के कारण भारतीयों में आक्रोश की लहर दौड़ गई |

खिलाफत का मुद्दा – प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान तुर्की अंग्रेजो के खिलाफ थे जिसके कारण ब्रिटेन ने तुर्की के प्रति कठोर रवैया अपनाकर से वर्ष की संधि करके तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य का विभाजन करके खलीफा के पद को समाप्त कर दिया जोकि विश्वभर के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना आध्यात्मिक नेता हटा तक खलीफा मानते थे इस कारण अंग्रेजों के इस कदम से विश्व भर के मुसलमानों में तीव्र आक्रोश व्याप्त हो गया भारत में शौकत अली और मोहम्मद अली ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खिलाफत आंदोलन की शुरुआत की और अंत में खिलाफत आंदोलन को सन 1920 में महात्मा गांधी द्वारा आरंभ किए गए असहयोग आंदोलन में विलय कर दिया गया |


असहयोग आंदोलन कब आरंभ हुआ Asahyog andolan kab aarambh hua tha

असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1 अगस्त 1920 को हुई दुर्भाग्यवश इसी दिन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की भी मृत्यु हो गई |

कोलकाता में सितंबर 1920 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विशेष अधिवेशन बुलाया गया इसमें असहयोग आंदोलन संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए इसके पश्चात दिसंबर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन जोकि नागपुर में आयोजित हुआ इसमें ऐसा योग आंदोलन के प्रस्ताव की पुष्टि की गई और अधिकारिक तौर पर असहयोग आंदोलन का आरंभ हो गया |

कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में दो प्रमुख निर्णय लिए गए पहला स्वराज को लक्ष्य घोषित किया गया और दूसरा असहयोग आंदोलन के दौरान किए जाने वाले कार्यों की सूची तैयार की गई और उन्हीं के इर्द-गिर्द असहयोग आंदोलन का संचालन किया गया |


असहयोग आंदोलन कार्यक्रम

असहयोग आंदोलन कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय विद्यालयों व महाविद्यालय की स्थापना की जानी थी तथा सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों का बहिष्कार किया जाना था |

ब्रिटिश उपाधियों का बहिष्कार – यह तय किया गया कि सरकारी उपाधियों व सम्मान को लौटा दिया जाए इसके अंतर्गत महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई केसर ए हिंद की उपाधि वापस कर दी |

हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया ताकि इस आंदोलन को और अधिक रूप से विस्तृत कर सकें |

स्वदेशी का प्रचार – विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया ताकि स्वदेशी कपड़ों जोकि हाथों से बुनाई करके बनाए जाते थे उनका अधिक प्रसार हो सके |

पंचायतों की स्थापना – छोटे-छोटे विवादों को निपटाने के लिए पंचायतों की स्थापना की जाएगी |


असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे Asahyog andolan pratham jan andolan tha kaise

असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे Asahyog andolan pratham jan andolan tha kaise इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है –

असहयोग आंदोलन का प्रसार पूरे देश भर में देखा गया ताकि इसे सभी वर्गों के लोगों तक पहुंचाया जा सके जिससे या आंदोलन और भी विस्तृत हो सके क्योंकि खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन के साथ-साथ चल रहा था इसलिए हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया गया |

असहयोग आंदोलन में कॉलेज स्कूल के छात्र मध्यम वर्गों के लोग व्यवसाई वर्ग के लोग कृषक तथा महिलाएं सभी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इस कारण इसे प्रथम जन आंदोलन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति की बात नहीं होगी |


असहयोग आंदोलन की असफलता के क्या कारण थे Asahyog andolan ki asafalta ke kya karan the

हिंसा का प्रयोग – चौरी चौरा कांड |

लोगों के द्वारा उपाधियों और सरकारी सेवा के बहिष्कार को गंभीरता से नहीं लिया गया |

खिलाफत मुद्दे की प्रासंगिकता की समाप्ति – नवंबर 1922 में तुर्की के लोग मुस्तफा कमाल पाशा के विरोध में उठ खड़े हुए और सुल्तान को राजनीतिक सत्ता से वंचित कर दिया गया और तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित कर दिया गया |

ब्रिटिश सरकार द्वारा आंदोलनकारियों से चर्चा करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई इस कारण आंदोलन की गति धीमी हो गई |


असहयोग आंदोलन कब वापस लिया गया था Asahyog andolan kab wapas liya gaya

5 फरवरी सन 1922 को चोरा चोरी नामक स्थान पर एक बैंक द्वारा पुलिस चौकी पर हमला करके उसे आप के हवाले कर दिया गया इसके परिणाम स्वरूप बहुत सारे पुलिसकर्मी मारे गए
चूंकि महात्मा गांधी अहिंसा के पुजारी थे इसलिए चौरी चौरा घटना के कारण 12 फरवरी सन 1922 को असहयोग आंदोलन वापस लेने की घोषणा असहयोग आंदोलन समाप्त हो गया |


इसे भी पढ़े – भारत का संवैधानिक विकास 1858 से 1935

FAQ

Asahyog andolan meaning in English

असहयोग आन्दोलन का अर्थ अंग्रेजी में -Non Cooperation Movement

1920 में कौन सा आन्दोलन हुआ था

1920 में असहयोग आन्दोलन हुआ था |

हमने आज के आर्टिकल में असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था कैसे Asahyog andolan pratham jan andolan tha kaise के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की और साथ ही असहयोग आंदोलन के कारण, असहयोग आंदोलन कब आरंभ हुआ, असहयोग आंदोलन कार्यक्रम, असहयोग आंदोलन की असफलता के क्या कारण थे और असहयोग आंदोलन कब वापस लिया गया था के बारे बहुत ही अच्छे ढंग से समझा | आपको यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं |

This Post Has 2 Comments

  1. Durgesh kumar sahu

    Very good dear

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