आज के इस आर्टिकल में बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं | Bahuvrihi samas kise kahate hain टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए बहुव्रीहि समास के उदाहरण Bahuvrihi samas ke udaharan और बहुव्रीहि समास की पहचान कैसे करें, के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे |

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं Bahuvrihi samas kise kahate hain
जब दोनों पद गौण होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य तीसरे पर की व्याख्या करते हैं और जब वही तीसरा पद प्रधान होता है तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं |
बहुव्रीहि समास के उदाहरण Bahuvrihi samas ke udaharan
निशाचर – निशा में आचरण (घूमने फिरने वाला) करने वाला अर्थात राक्षस
देवराज – वह जो देवों का राजा है अर्थात इंद्र
वज्रपाणि – जिसके पाणि (हाथ) में वज्र है अर्थात इंद्र
शचीपति – वह जो शची का पति है अर्थात इंद्र
चक्रपाणि – वह जिसके पाणि में चक्र है अर्थात कृष्ण
गिरीधर – वह जो गिरी को धारण करते हैं अर्थात कृष्ण
मुरारी – वह जो मुर (राक्षस का नाम) के अरी (शत्रु) है अर्थात कृष्ण
मकरध्वज – जिसका मकर का ध्वज है अर्थात कामदेव
कुसुमशर – वह जिसके कुसुम के शर (बाण) है अर्थात कामदेव
आशुतोष – वह शीघ्र (आशु) तुष्ट हो जाते हैं अर्थात शिव
चंद्रमौली – जिनके मौलि (मस्तक) पर चांद है अर्थात शिव
वाग्देवी – वह जो वाक् (भाषा) की देवी है अर्थात सरस्वती
श्रीश – वह जो श्री (लक्ष्मी) के ईश (पति) हैं अर्थात विष्णु
दीनानाथ – वह जो दिन के नाथ (स्वामी) हैं अर्थात सूर्य
धनंजय – वह जो धन (पृथ्वी, भौतिक संपदा आदि) को जीतता है अर्थात अर्जुन
मयूरवाहन – वह जिनका मयूर वाहन है अर्थात कार्तिकेय
शैलनंदिनी – वह जो शैल हिमालय की नंदिनी (पुत्री) है अर्थात पार्वती
गिरिजा – वह जो गिरी (हिमालय) की पुत्री है अर्थात पार्वती
पीतांबरधारी – वह जो पीला वस्त्र धारण करते हैं अर्थात कृष्ण
घनश्याम – वह जो घन (बादल) के समान श्याम (काले) हैं अर्थात कृष्ण
कमलनयन – कमल के समान है नयन जिसके अर्थात राम/विष्णु
दशानन – दस है आनन (मुख) जिसके अर्थात रावण
पंचानन – पांच हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात ब्रह्मा
चतुरानन – चार है आनन जिसके अर्थात ब्रह्मा
लंबोदर – लंबा है उधर जिसका अर्थात गणेश
षडानन – छः है आनंद जिसके अर्थात कार्तिकेय
महादेव – वह जो देवों में महान हैं अर्थात शिव
नीलोत्पल – नीला है जो उत्पल (कमल) अर्थात इंदीवर
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बहुव्रीहि समास
जब दोनों पद गौण होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य तीसरे पर की व्याख्या करते हैं और जब वही तीसरा पद प्रधान होता है तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं |
बहुव्रीहि समास के 2 उदाहरण
वज्रपाणि – जिसके पाणि (हाथ) में वज्र है अर्थात इंद्र
शचीपति – वह जो शची का पति है अर्थात इंद्र
बहुव्रीहि समास की पहचान कैसे करें ?
जब दोनों पद गौण होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य तीसरे पर की व्याख्या करते हैं और जब वही तीसरा पद प्रधान होता है तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं |
Chandramouli me kon sa samas hai
चंद्रमौली में बहुव्रीहि समास है
चंद्रमौली – जिनके मौलि (मस्तक) पर चांद है अर्थात शिव
Lambodar ka samas vigrah
लंबोदर में बहुव्रीहि समास है
लंबोदर – लंबा है उधर जिसका अर्थात गणेश
Panchanan ka samas vigrah
पंचानन में बहुव्रीहि समास है
पंचानन – पांच हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात ब्रह्मा
हमने आज के आर्टिकल में बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं | Bahuvrihi samas kise kahate hain के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की और साथ ही बहुव्रीहि समास के उदाहरण Bahuvrihi samas ke udaharan और बहुव्रीहि समास की पहचान कैसे करें, के बारे में बहुत ही अच्छे ढंग से समझा | आपको यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं |