किस उद्देश्य से की गई ब्रह्म समाज की स्थापना | Brahmo samaj ki sthapna

भारत में चल रहे सामाजिक धार्मिक आंदोलन के कारण बंगाल में राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना Brahmo samaj ki sthapna की गई |

ब्रह्म समाज की स्थापना ( Brahmo samaj ki sthapna ) का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धार्मिक आस्थाओं में बँटी हुई जनता को एक जुट करना तथा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना था।

राजा राममोहन राय जी का कहना था कि हिंदू में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए और उसके शुद्धिकरण के लिए धर्म के ही मूल ग्रंथों के ज्ञान से लोगों को परिचित कराना चाहिए इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने वेद व उपनिषदों का बंगाली भाषा में अनुवाद कर प्रकाशित किया
राजा राममोहन राय जी मूर्ति पूजा अंधविश्वास और पाखंडों का विरोध करते थे |

ब्रह्म समाज में हर धर्म की सभी अच्छी चीजों के लिए एक पूरी जगह थी।
इस संस्था का आधार जिस पर इस संस्था का गठन किया गया था वे थे – वेद, उपनिषद और तर्कवाद थे।

Brahmo samaj ki sthapna kab hui ?

ब्रह्म समाज 1828


Brahmo samaj ki sthapna kaha hui | ब्रह्म समाज की स्थापना कहां हुई ?

प्रारंभ – बंगाल


Brahmo samaj ke sansthapak | ब्रह्म समाज के संस्थापक कौन थे ?

राजा राममोहन राय

इन्हें भारतीय “पुनर्जागरण का पिता”, “भारतीय पत्रकारिता का जनक”, ‘युगदूत’ और ‘अग्रदूत’ भी करते हैं |


Brahmo-Samaj-ki-sthapna
Brahmo Samaj ki sthapna

ब्रह्म समाज का योगदान

मूर्ति पूजा का विरोध, एकेश्वरवाद का समर्थन, विधवा पुनर्विवाह का समर्थन |


राजा राम मोहन राय द्वारा स्थापित प्रथम संस्था आत्मीय सभा है |

इनकी प्रमुख पत्रिकाएं मीरात-उल-अखबार फारसी भाषा में संवाद-कौमुदी बंगाली भाषा में |

संवाद कौमुदी का उपयोग सती प्रथा के विरोध के लिए किया गया |

शिक्षा के लिए राजा राममोहन राय अंग्रेजी शिक्षा के पक्षधर थे |

राजा राममोहन राय की मृत्यु 1833 में ब्रिटेन के ब्रिस्टल में हुई यही उनकी समाधि भी है |


भारत का ब्रह्म समाज विभाजित क्यों हुआ?

राजा राममोहन राय के दो प्रमुख शिष्य देवेंद्र नाथ टैगोर तथा केशव चंद्र सेन थे उनकी मृत्यु के बाद ब्रह्म समाज की बागडोर देवेंद्र नाथ टैगोर के हाथ में आ गई देवेंद्र नाथ टैगोर तथा केशव चंद्र सेन के बीच मतभेद हो गया जिस कारण इन दोनों ने ही ब्रह्म समाज (Brahmo samaj in hindi) को छोड़ दिया |

आदि ब्रह्म समाज की स्थापना कब और किसने की ?

देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1865 ईस्वी में भारतीय आदि ब्रह्म समाज की स्थापना |


वेद समाज की स्थापना किसने की?

1860 में केशव चंद्र सेन ने वेद समाज की स्थापना की |

केशव चंद्र सेन

केशव चंद्र सेन बहुत ही प्रतिभावान व्यक्ति थे उनकी प्रतिभा देखकर उन्हें 1 वर्ष के अंदर ही आचार्य नियुक्त कर दिया गया |
केशव चंद्र सेन इतने प्रभावशाली व्यक्ति थे कि इस संस्था के ऊपर केशव चंद्र सेन का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा और इसी समय ही ब्रह्म समाज बंगाल के बाहर भी फैला इस संस्था की शाखाएं पंजाब मुंबई संयुक्त प्रांत आदि जगहों में भी बहुत तेजी से फैला |

केशव चंद्र सेन ने “टेबरेनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन” और “इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन” नामक संस्था का गठन किया |

केशव चंद्र सेन ने ब्रह्मा विवाह अधिनियम पास करवाया जिसमें 14 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं तथा 18 वर्ष से कम आयु के बालों को का विवाह वर्जित कर दिया गया |


ब्रह्म समाज का द्वितीय विभाजन 1878 में केशव चंद्र सेन के कारण हुआ |

केशव चंद्र सेन का भारतीय ब्रह्म समाज दोनों में सबसे ज्यादा प्रभावशाली रहा उनके द्वारा ब्रह्मा विवाह एक्ट को पारित किया गया अर्थात विवाह करने वाले लोगों का पंजीकरण किया जाने लगा |

इसके बाद ही ऐसी घटना हुई जिसके कारण केशव चंद्र सेन की असलियत सामने आ गई और उनके कथनी और करनी में फर्क देखा गया केशव चंद्र सेन जिन कुरीतियों का विरोध करते थे अब एक खोज भी उन्हीं कुरीतियों में शामिल थे |

यह घटना तब की थी जब केशव का चंद्र सेंट बाल विवाह का विरोध कर रहे थे केशव चंद्र सेन द्वारा सन 1878 में खुद की ही पुत्री जो कि सिर्फ 13 वर्ष की थी उनका विवाह कूच बिहार के नाबालिक महाराजा से करवा दिया उनके ऐसे कार्य से उनके समर्थक बहुत ज्यादा दुखी हुए |

1878 में ब्रह्म समाज से अलग होकर साधारण ब्रह्म समाज की स्थापना की |


इस प्रकार राजा राममोहन राय ने जिस संस्था की स्थापना की थी उस संस्था का विभाजन होने के बाद कोई बड़ा नेता नहीं मिल पाया और धीरे-धीरे ब्रह्म समाज जिस उद्देश्य को लेकर सामने आई उनमें ही कुरीतियां फैलने लगी और उनके स्थान पर आर्य समाज रामकृष्ण मिशन जैसी संस्थाएं आ गई |

FAQ

Brahm samaj ki sthapna kab hui ?

ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राममोहन राय जी द्वारा बंगाल में सन 1828 को की गई

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