COP 27 in Hindi | जानिए आखिर क्यों है चर्चा में

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कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप) सम्मेलन जलवायु परिवर्तन पर सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है |


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भारत की ओर से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव जी 6 से 18 नवंबर तक COP 27 सम्मेलन में शामिल होंगे


Cop की स्थापना कब हुई ?

COP की पहली बैठक मार्च 1995 में जर्मनी के बर्लिन में हुई
COP यूएनएफसीसीसी का एक निकाय है जो कि प्रत्येक वर्ष को की बैठक संपन्न कराता है


cop 27 full form

Conference of Parties, कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP)


COP 27 kahan aayojit kiya jaega | Cop 27 का आयोजन कहाँ होगा?

COP-27 Sharm El Sheikh, Egypt में आयोजित होगा


COP 27 summit date

6 – 18 नवंबर तक Sharm El Sheikh, Egypt में आयोजित होगा


cop 27 theme

critical role of biodiversity to climate action


COP सम्मेलन List

1995: COP 1, Berlin, Germany
2015 Paris, France
2019 Madrid, Spain
2020 Cancel due to coronavirus
2021 Glasgow, United Kingdom
2022 Sharm El Sheikh, Egypt
2023 Dubai UAE


कॉप 28 का आयोजन कहाँ होगा | COP 28 kaha hoga

COP 28,2023 में Dubai के UAE में होगा


यूएनएफसीसीसी का मुख्य लक्ष्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाना है अब तक इस बार 197 पक्षों ने हस्ताक्षर किए हैं यह संधि सन 1994 में लागू हुई और प्रत्येक वर्ष इसकी बैठक आयोजित की जाती है 2020 में कोविड-19 के कारण cop 26 के आयोजन में 1 वर्ष की देरी हुई थी

यूएनएफसीसीसी के बारे में

यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण बनने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रण करने करने वाली एक बहुपक्षीय संधि है
यूएनएफसीसीसी को क्यूटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौता का जनक माना जाता है
यूएनएफसीसीसी 21 मार्च 1994 को सामने आया एवं और उसे 197 देशों का अनुसमर्थन भी मिला
भारत ने 1993 में यूएनएफसीसीसी का अनुसमर्थन किया।


2070 तक भारत का शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य

मोदी जी द्वारा 2021 के cop26 में भारत के लिए 2017 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा की थी


क्या है शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य ?

शून्य शुद्ध उत्सर्जन लक्ष्य जिसे कार्बन तटस्थता के रूप में भी जाना जाता है का अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर लाएगा। इसका अर्थ यह है कि जिस देश में कार्बन का उत्सर्जन जितना भी होगा उतने कार्बन का अवशोषण भी उसी देश के द्वारा ही किया जाएगा चाहे यह काम वन लगाकर हो या फिर कार्बन सिंक पर काम करके


पेरिस समझौता 2015

इस समझौते के अंतर्गत इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखना है जो कि वर्तमान में 1.1 और 1.2 डिग्री सेल्सियस के बीच है जब वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस या उसके आसपास आ जाएगा तो पृथ्वी पर मानव जीवन नष्ट हो जाएगा

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