भारत में यूरोपीयो का आगमन | Bharat me yuropiyo ka aagman

इस पोस्ट में हमारे द्वारा भारत में यूरोपीयो का आगमन Bharat me yuropiyo ka aagman और यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम के बारे में जानकारी दी गई है ।

भारत में यूरोपीयो का आगमन Bharat me yuropiyo ka aagman

1453 ईस्वी में यूरोप का पूर्वी भाग में कस्टंटूनिया नामक जगह पर अरबों का आक्रमण होता है और वहां अधिकार जमा लिया जाता है उसके बाद यूरोप का भारत से स्थली मार्ग से व्यापार बंद हो जाता है इस व्यापारिक संबंधों को पुनः जोड़ने के लिए यूरोप में भौगोलिक खोज प्रारंभ होती है और इस क्रम में समुद्री मार्गो से विभिन्न स्थलों का पता लगाने का कोशिश किया जाता है |

कोलंबस द्वारा भारत की खोज के क्रम में 1492 में अमेरिका की खोज हुई और वास्कोडिगामा द्वारा 1498 में भारत की खोज हुई |

यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम European company ka aagman
पुर्तगाली, डच, अंग्रेज, डेन, फ्रांसीसी

यूरोपीय कंपनी व्यापार के उद्देश्य से भारत आए । समय के साथ इन व्यापारिक कंपनियों की महत्वाकांक्षा और बढ़ने लगी तथा यह व्यापारिक कंपनियां अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाने लगी जिससे इनमें आपस में संघर्ष हुआ और इस संघर्ष में अंग्रेजों को सफलता मिली |

पुर्तगालियों से संघर्ष
1661 में ब्रिटेन के राजा राजकुमार चार्ल्स द्वितीय और पुर्तगाली के राजकुमारी कैथरीन का विवाह होता है परिणाम स्वरूप मुंबई क्षेत्र को दहेज स्वरूप अंग्रेजों को दे दिया जाता है राजा के द्वारा 1668 में 10 पाउंड वार्षिक किराए पर मुंबई को दे दिया जाता है इस प्रकार अंग्रेजों का पुर्तगालियों से संघर्ष समाप्त होता है |

डचों से संघर्ष
1759 में अंग्रेजों और डचों के बीच वेदरा का युद्ध हुआ इसमें डचों की पराजय हुई |

फ्रांसीसीयों से संघर्ष
अंग्रेजों और फ्रांस के बीच के संघर्ष को कर्नाटका के युद्ध के नाम से जाना जाता है भारतीय इतिहास में तीन कर्नाटक का युद्ध होते है और अंततः अंग्रेजों को जीत मिलती है |

जब पुर्तगाली भारत में आते हैं उस समय भारत के केंद्र में मुगलों का शासन रहता है |
औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात छोटे-छोटे राज्य उभर का्र सामने आते हैं जिसमें हैदराबाद मैसूर अवध बंगाल पंजाब इत्यादि शामिल होते हैं |
अंग्रेज धीरे-धीरे इन्हें भी जितना शुरू करते हैं |

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