छत्तीसगढ़ में मराठा शासन Maratha Shasan Chhattisgarh काल कलचुरी वंश के बाद आता है मराठा शासक के सेनापति भास्कर पंत द्वारा कलचुरी शासक को पराजित कर दिया जाता है भास्कर पंत द्वारा 1741 में छत्तीसगढ़ में आक्रमण किया गया इसके बाद छत्तीसगढ़ में अप्रत्यक्ष मराठा शासन प्रारंभ हो जाता है
छत्तीसगढ़ में अप्रत्यक्ष मराठा शासन के बाद छत्तीसगढ़ में प्रत्यक्ष मराठा शासन प्रारंभ होता है और आज के लेख में हम छत्तीसगढ़ के प्रत्यक्ष मराठा शासकों के बारे में ही पढ़ेगे

छत्तीसगढ़ में प्रत्यक्ष मराठा शासन | Maratha Shasan Chhattisgarh
बिंबाजी भोसले
चिमणाजी भोसले
व्यंकोजी भोसले
परसों जी भोसले
अप्पा जी भोसले
बिंबाजीभोसले | छत्तीसगढ़ में मराठा शासन
शासनकाल 1758 से 1787
छत्तीसगढ़ में प्रथम मराठा शासक
राजधानी – रतनपुर
स्थापत्य – रामटेकरी मंदिर रतनपुर
जीर्णोद्धार – दूधाधारी मठ (रायपुर), निर्माणकर्ता – बलभद्र दास
प्रशासनिक सुधार रायपुर एवं रतनपुर का प्रशासनिक एकीकरण
राजनांदगांव तथा खोजी नामक दो जमींदारीयां प्रारंभ की
परगना पद्धति के सूत्रधार, जन्मदाता – विट्ठलराव दिनकर
न्यायालय – रतनपुर में न्यायालय की स्थापना की
दशहरा में स्वर्ण पत्र देने की परंपरा
मृत्यु – 7 दिसंबर 1787 को
पत्नी – आनंदीबाई, उमाबाई, रमाबाई
आनंदीबाई
सूबेदार महीपतराव से इनका सत्ता के लिए संघर्ष हुआ आनंदीबाई के समकालीन मराठा शासक
बिंबा जी
चिमणा जी
व्यंकोजी
उमा बाई पति की मृत्यु के कारण सती हो गई
रमाबाई पति के मृत्यु के कारण वन चले गई
चिमणाजी भोसले |
शासनकाल 1787 से 1788 ईस्वी
सिरपुर के गंधेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया
व्यंकोजी भोसले |
शासनकाल 1788 से 1811 ईस्वी
सूबेदारी व्यवस्था की शुरुआत
अधीन सूबेदार
महिपत राव दिनकर
विट्ठलराव दिनकर
भवानी कालू
केशव गोविंद
बिंकोजी पिंडरी
बीकाजी गोपाल
यूरोपीय यात्री
फॉरेस्टर
मिस्टर ब्लंट
परसों जी भोसले |
शासनकाल 1811 से 1816 ईस्वी
अप्पा जी भोसले
सीताबर्डी की लड़ाई अंग्रेजी सेना और अप्पासाहेब के बीच अप्पासाहेब की पराजय हुई
इसके बाद इस राज्य में ब्रिटिश नियंत्रण स्थापित हो गया
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