आज के इस आर्टिकल में कोष्टक चिन्ह Kostak Chinh टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए कोष्ठकों का प्रयोग, कोष्टक चिन्ह के प्रकार और उनके उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।

कोष्टक का अर्थ Kostak ka Arth
कोष्ठक चिन्ह के अंदर उस शब्द का समानार्थी, पर्यायवाची, Full Form या संक्षिप्त में विवरण इत्यादि के अर्थ में कोष्ठक चिन्ह का प्रयोग होता है |
कोष्ठकों का प्रयोग Kostako ka Prayog
कोष्टक चिन्ह का उपयोग वाक्य के बीच में होता है जो हमेशा जोड़े में प्रयोग किए जाते हैं किसी वाक्य में प्रयुक्त किसी विशेष पद का अर्थ अच्छी तरह से स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है |
उदाहरण-
बलराम छ. ग. (छत्तीसगढ़) में रहता है |
मोहन को थोड़ी विराम ( आराम ) की आवश्यकता है |
कोष्टक चिन्ह के प्रकार Kostak Chinh ke Prakar
कोष्ठक चिन्ह मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –
लघु कोष्टक | ( ) |
मध्य कोष्टक | { } |
दीर्घ कोष्टक | [ ] |
लघु कोष्टक ( )
मध्य कोष्टक { }
दीर्घ कोष्टक [ ]
जब गणित के प्रश्नों को हल किया जाता है तो पोस्ट को को इसी काम में खोला जाता है सबसे पहले लघु कोष्टक फिर मध्य कोष्टक और सबसे अंत में दीर्घ कोष्टक को खोला जाता है।
अगर आप विराम चिन्हों के बारे में पढना चाहते है तो हमारे इस article को जरुर पढ़े –
FAQ
कोष्टक चिन्ह के उदाहरण
हमें इस भाग दौड़ की जिंदगी में अपने सेहत ( स्वास्थ्य ) पर ध्यान देना बहुत जरुरी है |
कोष्टक meaning in English
कोष्टक चिन्ह को English में Bracket कहते है |
कोष्टक के कितने प्रकार है ?
कोष्टक चिन्ह के मुख्यतः तीन प्रकार होते है –
लघु कोष्टक ( )
मध्य कोष्टक { }
दीर्घ कोष्टक [ ]
हमने आज के आर्टिकल में कोष्टक चिन्ह Kostak Chinh के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की और साथ ही कोष्ठकों का प्रयोग, कोष्टक चिन्ह के प्रकार और उनके उदाहरण के बारे बहुत ही अच्छे ढंग से समझा | आपको यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं |