आज के इस आर्टिकल में समास किसे कहते हैं Samas Kise Kahate hain टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए समास विग्रह Samas vigrah kise kahate hain, समास के अवयव (तत्व) और समास के भेद Samas ke bhed के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे |

समास किसे कहते हैं Samas Kise Kahate hain
समास एक शब्द निर्माण की विधि है जिसका अर्थ होता है संक्षेपण अर्थात छोटा करना
जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नवीन शब्द की रचना करते हैं तो उस प्रक्रिया को समास कहते हैं |
समास के अवयव (तत्व)
समस्त पद – समास विग्रह से बना नया शब्द समस्त पद कहलाता है | उदाहरण – समस्त पद – राजकुमार
समास विग्रह Samas kise kahate hain
जब समस्त पद के सभी पदों को अलग अलग किया जाता है उस प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं |
उदाहरण – समास विग्रह – राजा का कुमार
पूर्व पद – संपूर्ण पद का पहला पद पूर्व पद या प्रथम पद कहलाता है |
उदाहरण – प्रथम/पूर्व पद – राज
उत्तर पद – संपूर्ण पद का दूसरा पद उत्तर पद या द्वितीय पद कहलाता है |
उदाहरण – द्वितीय/उत्तर पद – कुमार
समास के प्रकार प्रधानता के आधार पर
प्रधानता के आधार पर समास के चार प्रकार के होते हैं –
पूर्व पद प्रधान – अव्ययीभाव समास
दोनों पद प्रधान – द्वंद समास
दोनों पद गौण (कम महत्वपूर्ण) – बहुव्रीहि समास
उत्तर पद प्रधान – तत्पुरुष, द्विगु और कर्मधारय समास
समास के भेद Samas ke bhed
अव्ययीभाव समास Avyayibhav samas
इसमें पूर्व पद प्रधान होता है तथा इसका पूर्व पर कोई अवयव अथवा उपसर्ग होता है |
किसी शब्द की आवृत्ति होने पर भी अव्ययीभाव समास होता है |
पहचान
शब्द की शुरुआत में भर, निर् , प्रति , यथा , बे , आ , ब , उप , अधि , अनु आदि शब्द मिल जाते हैं |
इसका समस्त पद वाक्य में क्रियाविशेषण का काम करता है |
इसका समस्त पद लिंग, वचन, कारक तथा काल से अप्रभावित रहता है |
उदाहरण
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
प्रत्यक्ष – आंख के सामने
अगर आप द्वन्द समास के बारे में और अधिक विस्तार से पढ़ना चाहते है तो हमारे इस article को जरुर पढ़े
द्वंद समास Dvandva Samas
इसमें दोनों पदों की प्रधानता होती है |
दोनों पदों के बीच या तो पूरक का या तो विलोम का संबंध होता है |
द्वंद समास तीन प्रकार के होते हैं –
वैकल्पिक द्वंद , इतरेतर द्वंद , समाहार द्वंद
वैकल्पिक द्वंद
जहां दोनों पद ‘अथवा’ शब्द से जुड़े होते हैं और एक दूसरे के विलोम होते हैं वहां वैकल्पिक द्वंद समास होता है |
जैसे –
पाप-पुण्य – पाप अथवा पुण्य
लाभ-हानि – लाभ अथवा हानि
इतरेतर द्वंद समास
जहां दोनों पद ‘और’ शब्द से जुड़े होते हैं तथा एक दूसरे के पूरक होते हैं वहां इतरेतर द्वंद समास होता है |
जैसे –
शिव-पार्वती – शिव और पार्वती
सीताराम – सीता और राम
समाहार द्वंद्व समास
जहां दोनों पदों से उनके जैसे सभी पदों का बोध होता है वहां समाहार द्वंद समास होता है |
जैसे –
रुपया-पैसा – रुपया और पैसा
थोड़ा-बहुत – थोड़ा या बहुत
अगर आप द्वन्द समास के बारे में और अधिक विस्तार से पढ़ना चाहते है तो हमारे इस article को जरुर पढ़े
बहुव्रीहि समास Bahuvrihi Samas
जिसके समस्त पदों के दोनों पद गौण (कम महत्वपूर्ण) होते हैं तथा यह दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद को अस्तित्व में लाते हैं और वही तीसरा पद प्रधान होता है उसे बहुव्रीहि समास करते हैं |
जैसे –
निशाचर – निशा में आचरण (घूमने फिरने वाला ) करने वाला अर्थात राक्षस
घनश्याम – वह जो घन (बादल) के समान श्याम (काला) हैं अर्थात कृष्ण
अगर आप बहुव्रीहि समास के बारे में और अधिक विस्तार से पढ़ना चाहते है तो हमारे इस article को जरुर पढ़े
तत्पुरुष समास Tatpurush Samas
जिस समास में उत्तर पद प्रधान होता है इस समास में समस्त पद बनाते समय कारक चिन्ह का लोप हो जाता है |
तत्पुरुष समास के दो भेद होते हैं –
व्याधिकरण तत्पुरुष समास
समानाधिकरण तत्पुरुष समास
व्याधिकरण तत्पुरुष समास
यह तत्पुरुष समास 6 प्रकार के होते हैं जो कारक चिन्ह के आधार पर होता है |
कर्म अथवा द्वितीय तत्पुरुष समास
इसमें पूर्व पद के साथ ‘को’ कारक चिन्ह लगता है |
गगनचुंबी – गगन को चूमने वाला
मनोहर – मन को हरने वाला
करण अथवा तृतीय तत्पुरुष समास
इसमें पूर्व पद के साथ ‘से / के द्वारा’ कारक चिन्ह लगता है |
रसभरा – रस से भरा
तुलसीकृत – तुलसी के द्वारा कृत
संप्रदान अथवा चतुर्थ तत्पुरुष समास
इसमें पूर्व पद के साथ ‘के लिए’ कारक चिन्ह लगता है |
गोशाला – गो के लिए शाला
रसोईघर – रसोई के लिए भवन
अपादान अथवा पंचम तत्पुरुष समास
इसमें पूर्व पद के साथ ‘से’ (अलग होना / पास होना) कारक चिन्ह लगता है |
राजद्रोह – राज्य से द्रोह करना
गुणयुक्त – गुण से युक्त होना
संबंध तत्पुरुष समास
इसमें पूर्व पद के साथ ‘का, की, के’ कारक चिन्ह लगता है |
देवालय – देव का आलम
मुखदर्शन – मुख के दर्शन
अधिकरण अथवा सप्तम तत्पुरुष समास
इसमें पूर्व पद के साथ ‘में, पर’ कारक चिन्ह लगता है |
आपबीती – अपने पर बीती
पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
समानाधिकरण तत्पुरुष समास
यह तत्पुरुष समास दो प्रकार का होता है द्विगु समास और कर्मधारय समास |
द्विगु समास Dvigu Samas
द्विगु समास में उत्तर पद प्रधान होता है किंतु इसका पूर्व पद सदैव संख्यावाचक होता है |
पंचवटी – पांच वटों (वृक्ष) वाला स्थान
चौराहा – चार राहों का समूह
अगर आप द्विगु समास के बारे में और अधिक विस्तार से पढ़ना चाहते है तो हमारे इस article को जरुर पढ़े
कर्मधारय समास Karmdharay Samas
इसके दोनों पदों के मध्य विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध पाया जाता है |
जैसे –
घनश्याम – घन के समान श्याम
कमलनयन – कमल के समान नयन
महाकवि – महान है जो कवि
पितांबर – पीला है जो अंबर
FAQ
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समास किसे कहते हैं Samas Kise Kahate hain
समास एक शब्द निर्माण की विधि है जिसका अर्थ होता है संक्षेपण अर्थात छोटा करना |
जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नवीन शब्द की रचना करते हैं तो उस प्रक्रिया को समास कहते हैं | समाज के 6 प्रकार होते हैं –
द्विगु समास, द्वंद समास, बहुव्रीहि समास, कर्मधारय समास, अव्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास -
समास विग्रह किसे कहते हैं Samas vigrah kise kahate hain
जब समस्त पद के सभी पदों को अलग अलग किया जाता है उस प्रक्रिया को समास विग्रह कहते हैं |
अगर आप कर्मधारय समास के बारे में और अधिक विस्तार से पढ़ना चाहते है तो हमारे इस article को जरुर पढ़े
हमने आज के आर्टिकल में समास किसे कहते हैं Samas Kise Kahate hain के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की और साथ ही समास विग्रह Samas vigrah kise kahate hain, समास के अवयव (तत्व) और समास के भेद Samas ke bhed के बारे में बहुत ही अच्छे ढंग से समझा | आपको यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं |