संविधान संशोधन की प्रक्रिया | Samvidhan sanshodhan ki prakriya
संविधान संशोधन की प्रक्रिया Samvidhan sanshodhan ki prakriya का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग 20 के अनुच्छेद 368 के अंतर्गत है भारतीय संविधान में तीन प्रकार की संविधान संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख है –
1. साधारण बहुमत द्वारा
2. विशेष बहुमत द्वारा
3. विशेष बहुमत और राज्यों का अनुसमर्थन
साधारण बहुमत से
ऐसे संशोधन में दोनों सदनों में उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के आधे से अधिक की सहमति होनी चाहिए
ऐसे संशोधन को अनुच्छेद 368 के अंतर्गत नहीं माना जाता है
जैसे अनुच्छेद 2,3,4,75,97,105,106,125,148
विशेष बहुमत से
ऐसे संशोधन को अनुच्छेद 368 के अंतर्गत माना जाता है
ऐसे विधायकों के लिए मतदान करने वाले सदस्यों में से कम से कम दो तिहाई का समर्थन प्राप्त होना चाहिए
संसद के विशेष बहुमत के अलावा कम से कम आधे राज्यों के विधान मंडलों के अनुसार धन से पारित होने वाले विधेयक
ऐसे विधायकों के लिए दोनों सदनों में विशेष बहुमत द्वारा पारित होना अनिवार्य है एवं कम से कम आधे राज्यों के विधान मंडलों का समर्थन होना चाहिए
जैसे अनुच्छेद 54,55,73,80,81,162,241 तथा चौथी या सातवीं अनुसूची में संशोधन करने पर
संविधान संशोधन प्रक्रिया के विभिन्न चरण
संशोधन का प्रस्ताव दोनों सदनों में से किसी भी सदन में प्रारंभ किया जा सकता है
दोनों सदनों में विशेष बहुमत कुल सदस्य संख्या के आधे या आधे से अधिक तथा उपस्थित हुआ मतदान देने वाले सदस्यों के दो तिहाई या अधिक सदस्यों के समर्थन से ही संविधान संशोधन विधेयक पारित हो सकता है
संविधान संशोधन के मामले में संयुक्त बैठक का कोई प्रावधान नहीं है
राष्ट्रपति संविधान संशोधन विधेयक को अनुमति देने के लिए बाध्य है 24 वा संविधान संशोधन अधिनियम 1971
संविधान संशोधन विधेयक को संसद में प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती
वर्तमान में संसद की संविधान संशोधन की संवैधानिक स्थिति
संसद मूल अधिकारों सहित किसी भी उपबंध में संशोधन कर सकती है किंतु यह संशोधन संविधान के आधारभूत ढांचे के विरुद्ध नहीं होना चाहिए
यदि संविधान संशोधन अधिनियम को नवमी अनुसूची में शामिल कर दिया जाए तो भी न्यायपालिका की न्यायिक पुनर्विलोकन शक्ति सीमित नहीं होगी अर्थात
1973 के पहले या था कि यदि किसी भी विषय को 9वी अनुसूची में जोड़ा जाएगा तो न्यायालय उस पर हस्तक्षेप नहीं कर सकती लेकिन 24 अप्रैल 1973 के बाद नवीं अनुसूची में शामिल किए जाने वाले किसी भी विषय में न्यायालय हस्तक्षेप कर सकती है
संसद संविधान संशोधन की शक्ति को बढ़ा नहीं सकती है
चूंकि केसवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की न्याय पीठ बैठी थी इसलिए उपर्यूक्त स्थितियों में परिवर्तन तभी हो सकता है जब 13 या 13 से अधिक न्यायाधीशों की न्याय पीठ केसवानंद भारती मामले का निर्णय पलट दे
क्यों बनाए जाते हैं केंद्र शासित प्रदेश | Kendra Shasit Pradesh
FAQ
संविधान संशोधन की प्रक्रिया किस देश से ली गई है ?
संविधान संशोधन की प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीका के संविधान से ली गई है
2022 तक भारत में कितने संविधान संशोधन हो चुके हैं ?
अब तक संसद में 126 संविधान संशोधन विधेयक लाया जा चुका है जिनमें से केवल 104 ही पारित हुए हैं अर्थात संविधान में अब तक 104 संशोधन ही हुए हैं
संविधान संशोधन किस भाग में है ?
संविधान संशोधन की प्रक्रिया भारतीय संविधान के भाग 20 में हैं