आज के इस आर्टिकल में तत्पुरुष समास किसे कहते है Tatpurush Samas Kise Kehte Hain टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए तत्पुरुष समास की परिभाषा Tatpurush Samas Ki Paribhasha, तत्पुरुष समास के भेद Tatpurush Samas Ke Bhed और उनके उदाहरण के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।
तत्पुरुष समास किसे कहते है Tatpurush Samas Kise Kehte Hain

तत्पुरुष समास की परिभाषा Tatpurush Samas Ki Paribhasha
जिस समाज में प्रथम पद गौण तथा उत्तर पद प्रधान हो इस समास में समस्त पद बनाते समय कारक चिन्ह का लोप हो जाता है |
तत्पुरुष समास के भेद Tatpurush Samas Ke Bhed
कर्म अथवा द्वितीय तत्पुरुष समास Karm Tatpurush Samas
इसमें ‘को’ कारक चिन्ह लगता है |
गगनचुंबी – गगन को चुमने वाला
पॉकेटमार – पॉकेट को मारने वाला
मनोहर – मन को हरने वाला
गृहागत – गृह को आगत
मुंहतोड़ – मुंह को तोड़ने वाला
विरोध जनक – विरोध को जन्म देने वाला
कमरतोड़ – कमर को तोड़ने वाला
जितेंद्रिय – इंद्रियों को जीतने वाला
करण अथवा तृतीय तत्पुरुष समास
इसमें ‘से / के द्वारा’ कारक चिन्ह लगता है |
तुलसीकृत – तुलसी के द्वारा कृत
रसभरा – रस से भरा
रेखांकित – रेखा के द्वारा अंकित
हस्तलिखित – हस्त द्वारा लिखित
भयभीत – भय से भीत
करुणापूर्ण – करुणा से पूर्ण
रोगपीड़ित – रोग से पीड़ित
शोकाकुल – शोक से आकुल
अकाल पीड़ित – अकाल से पीड़ित
संप्रदान अथवा चतुर्थ तत्पुरुष समास
इसमें ‘के लिए’ कारक चिन्ह लगता है |
गोशाला – गो के लिए शाला
रसोईघर – रसोई के लिए भवन
हवन सामग्री – हवन के लिए सामग्री
समाचार पत्र – समाचार के लिए पत्र
पाठशाला – पाठ के लिए शाला
देश भक्ति – देश के लिए भक्ति
गुरु दक्षिणा – गुरु के लिए दक्षिणा
रणभूमि – रण के लिए भूमि
न्यायालय – न्याय के लिए आलय
यज्ञ वेदी – यज्ञ के लिए वेदी
अपादान अथवा पंचम तत्पुरुष समास
इसमें ‘से’ (अलग होना) कारक चिन्ह लगता है |
राजद्रोह – राज्य से द्रोह करना
गुणयुक्त – गुणों से युक्त होना
नेत्रहीन – नेत्र से हीन होना
कर्म विमुख – कर्म से विमुख होना
ऋण मुक्त – ऋण से मुक्त होना
बाल हीन – बल से हीन होना
धनहीन – धन से हीन होना
पद भ्रष्ट – स्थान से भ्रष्ट होना
पापमुक्त – पाप से मुक्त होना
हृदयहीन – हृदय से हीन होना
संबंध अथवा षष्टम तत्पुरुष समास
इसमें ‘का, की, के’ कारक चिह्न लगता है |
देवालय – देव का आलय
मुख दर्शन – मुख के दर्शन
कन्यादान – कन्या का दान
अन्न दान – अन्न का दान
श्रमदान – श्रम का दान
सत्य प्रतिज्ञा – सत्य की प्रतिज्ञा
कृष्णांगी – कृष्ण का अंग
वीर कन्या – वीर की कन्या
ऋषि कन्या – ऋषि की कन्या
मनः स्थिति – मन की स्थिति
आत्मज्ञान – आत्म का ज्ञान
जल राशि – जल की राशि
अधिकरण अथवा सप्तम तत्पुरुष समास
इसमें ‘में / पर’ कारक चिन्ह लगता है |
आपबीती – अपने पर बीती
पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
शास्त्र प्रवीण – शास्त्रों में प्रवीण
मुनि श्रेष्ठ – मुनियों में श्रेष्ठ
सिर दर्द – सिर में दर्द
ईश्वराधीन – ईश्वर पर अधीन
ऋषिराज – ऋषियों में राजा
सर्वव्याप्त – सर्व में व्याप्त
आत्मकेंद्रीय – आत्मा पर केंद्रीय
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द्वंद समास की परिभाषा और उदाहरण
FAQ
पुरुषोत्तम कौन सा समास है
पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
इसमें में कारक चिन्ह लगा है इसलिए यह अधिकरण अथवा सप्तम तत्पुरुष समास होगा |
विद्यालय का समास विग्रह
विद्यालय विद्या के लिए आलय
इसमें के लिए कारक चिन्ह लगा है इसलिए यह संप्रदान अथवा चतुर्थ तत्पुरुष समास होगा
Senapati mein kaun sa samas hai
सेनापति में तत्पुरुष समास होगा
Rajpurush ka samas vigrah
राजपुरुष में तत्पुरुष समास होगा
बैलगाड़ी में कौन सा समास है
बैलगाड़ी में तत्पुरुष समास होगा
Deshbhakti me kaun sa samas hai
देशभक्ति – देश की भक्ति, तत्पुरुष समास होगा
धनंजय में कौन सा समास है
धनंजय में तत्पुरुष समास होगा
manmana me samas
मनमाना में तत्पुरुष समास होगा
मृत्युंजय में कौन सा समास है
मृत्युंजय में तत्पुरुष समास होगा
Pathshala mein kaun sa samas hai
पाठशाला – पाठ के लिए शाला, तत्पुरुष समास होगा
हमने आज के आर्टिकल में तत्पुरुष समास किसे कहते है Tatpurush Samas Kise Kehte Hain के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की और साथ ही तत्पुरुष समास की परिभाषा Tatpurush Samas Ki Paribhasha, तत्पुरुष समास के भेद Tatpurush Samas Ke Bhed और उनके उदाहरण के बारे बहुत ही अच्छे ढंग से समझा | आपको यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं |