विटामिन की खोज किसने की थी | Vitamin Ki Khoj Kisne Ki Thi

आज के इस आर्टिकल में विटामिन की खोज किसने की थी Vitamin Ki Khoj Kisne Ki Thi टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए विटामिन क्या है और विटामिन कितने प्रकार के होते हैं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ।

विटामिन क्या है vitamin kya hai

यह एक प्रकार का कार्बनिक योगिक है इसमें कोई कैलोरी प्राप्त नहीं होती परंतु यह शरीर के ऊपर चढ़ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं के नियम के लिए अत्यंत आवश्यक है इसे रक्षात्मक पदार्थ भी कहा जाता है

विटामिन बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में जंतु शरीर के सामान्य मेटाबॉलिज्म के लिए आवश्यक होती है यद्यपि यह ऊर्जा प्रदान नहीं करते लेकिन अन्य इंधन पदार्थों के संश्लेषण एवं सही उपयोग का नियंत्रण करते हैं अतः इन की कमी से मेटाबॉलिज मत रोटी पूर्ण होकर शरीर को रोहिल्ला बना देता है इसलिए इन्हें वृद्धि तत्व और इनकी कमी से उत्पन्न रोगों को अपूर्णता रोग कहते हैं
शरीर में विटामिन का संख्या बहुत कम होता है इनकी अधिकांश मात्रा का मूत्र के साथ उत्सर्जन होता रहता है इसलिए उन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होता है

जीवो में अभी तक लगभग 20 प्रकार के विटामिनों का पता चला है इनमें से तेरह का हमारे भोजन में होना आवश्यक होता है

विटामिनों का संश्लेषण हमारे शरीर की कोशिकाओं द्वारा नहीं हो सकता एवं इसकी पूर्ति विटामिन युक्त भोजन से होती है तथा बी विटामिन डी एवं के का संश्लेषण हमारे शरीर में होता है

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Vitamin Ki Khoj Kisne Ki Thi

विटामिन की खोज किसने की थी Vitamin Ki Khoj Kisne Ki Thi

विटामिन की खोज फंक ने 1911 में किया

अब हमने यह तो जान लिया की विटामिन की खोज किसने की थी Vitamin Ki Khoj Kisne Ki Thi तो चलिए अब हम विटामिन के प्रकार के बारे में जानते है |


विटामिन कितने प्रकार के होते हैं vitamin kitne prakar ke hote hain

घुलनशीलता के आधार पर विटामिन दो प्रकार के होते हैं

जल में घुलनशील विटामिन B C
वसा में घुलनशील विटामिन K E D A

जल में घुलनशील विटामिनों की आवश्यकता से अधिक मात्रा का मूत्र के साथ विसर्जन होता रहता है अतः शरीर में इनका विशेष संचय नहीं होता और इन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक होता है इसके विपरीत वसा में घुलनशील विटामिन ओ का मूत्र के साथ सर्जन नहीं होता अतः वसा ऊतकों में इनका कुछ संचय होता है जिसके कारण उन्हें प्रतिदिन भोजन से ग्रहण करना आवश्यक नहीं होता

विटामिन बी
जल में घुलनशील और नाइट्रोजन युक्त सर्वप्रथम ज्ञात विटामिन को विटामिन बी कहा गया बाद में लगभग 13 और विटामिन की खोज हुई तथा इन सब को बी कांपलेक्स का सामूहिक नाम दिया गया इनमें निम्नलिखित समानताएं पाए जाते हैं
इनमें लगभग सभी को एंजाइम का निर्माण करती हैं
लिपोइक अम्ल को छोड़कर सभी जल में विलेय हैं
इनमें से अधिकांश विटामिन खमीर ईस्ट और यकृत में उपलब्ध होते हैं
इनमें से अधिकांश का संश्लेषण आंतरिक सूक्ष्म जीवों द्वारा हो जाता है

विटामिन b1
फूंक ने सन 1912 में ही इसे चावल की छीलन से तैयार किया ध्यातव्य है कि थाइमिन को शोथरोधी या एन्यूरिन की भी संज्ञा प्रदान की गई है |
हमें यह चावल के छिलकों, मांस, मेवा, सोयाबीन, मछली, अंडा आदि से मिलता है |
हमारा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र ऊर्जा के लिए लगभग पूरी तरह कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करता है अतः किस विटामिन की कमी से तंत्रिका तंत्र और पेशियों का कार्य बिगड़ जाता है जिससे लकवे की आशंका हो सकती है |
हिदायत पेशियों के छेद हो जाने से दिल की धड़कन बंद हो सकती है अब बच तथा कब्ज हो सकती है इन्हीं तीन लक्षणों को सामूहिक रूप से बेरी बेरी का रोग कहते हैं |

विटामिन b2
यह पनीर, अंडों, ईस्ट, हरी पत्तियां, जिगर, मास, दूध आदि में मिलता है |
इसकी कमी से मुह के कोण फट जाते हैं कमजोर पाचन शक्ति, त्वचा व आंखों में जलन सिरदर्द, कमजोर स्मृति और नासिका पर पपड़ी दार त्वचा विटामिन की कमी के अन्य लक्षण होते हैं |

विटामिन b3
इसे नियासिन या विटामिन पी पी भी कहते हैं |
यहां ताजा मांस जिगर मछली अंडा दूध मटर मेवा आदि में मिलता है |
इसकी कमी से चर्मदाह अर्थात पेलाग्रा रोग हो जाता है जिसमें जीव और त्वचा पर दाने और कपड़िया पड़ जाती हैं पाचन शक्ति कमजोर हो जाने से अतिसार हो जाता है तथा तंत्रिका तंत्र के क्षीण हो जाने से पागलपन तक हो सकता है |

विटामिन b5
यह सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों में होता है परंतु अंडा मांस दूध मूंगफली गन्ना अनाज शकरकंद आदि में अधिक मिलता है |
इसकी कमी शरीर में प्रायः नहीं होती है फिर भी कमी होने पर चर्म रोग मंदबुद्धि हाथ पैरों में सुन्नता थकावट बाल सफेद तथा जनन क्षमता कम हो जाती है |

विटामिन बी सिक्स
यह दूध, अनाज, मांस, मछली, जिगर, ईस्ट, सब्जियों आदि में मिलता है |
इसकी कमी से रक्त क्षीणता, चर्म रोग, पथरी आदि रोग हो जाते हैं |
आंत के बैक्टीरिया भी इसका संश्लेषण करते हैं अतः इसकी प्राय कमी नहीं होती |

विटामिन b7
इसे बायोटीन भी कहते हैं |
यह सब्जी, फलों, गेहूं, चॉकलेट, अंडा, मूंगफली, मांस आदि में मिलता है |
आपके बैक्टीरिया भी इसका संश्लेषण करते हैं |
इसकी कमी से त्वचा रोग बालों का झड़ना तथा कमजोरी हो जाती है |

विटामिन b9
इसे फोलिक अम्ल भी कहते हैं |
जय हरी पत्तियां, सोयाबीन, जिगर तथा ईस्ट आदि में मिलता है |
इनकी कमी से वृद्धि कम और रक्त क्षीणता होती है |

विटामिन b12
यह मांस, मछली, जिगर, अंडा, दूध, पनीर आदि में मिलता है |
रक्त क्षीणता के उपचार में इसके इंजेक्शन लगाते हैं इसकी कमी से तंत्रिका तंत्र की कार्यिकी भी गड़बड़ा जाती है |


विटामिन सी
सबसे पहले इसी विटामिन की खोज हुई इसका प्रमुख कार्यक्रमों में कोशिकाओं को परस्पर बांधे रखने वाले अंतर कोशिकीय पदार्थ के मैट्रिक्स कोलेजन तंतुओं हड्डियों के मेट्रिक्स और दांतों के डेंटिंग के निर्माण को सामान्य अवस्था में बनाए रखने का है संभवत यह विटामिन इन पदार्थों के संश्लेषण से संबंधित प्रतिक्रियाओं के एंजाइमों का सहएंजाइम होता है |
लौह मेटाबॉलिज्म का नियंत्रण करके यह लाल रुधिराणुओं के निर्माण में भी सहायता करता है |
विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग होता है स्कर्वी रोग में घाव नहीं भरते हैं कोलेजन तंतुओं एवं अंयर कोशिकीय पदार्थ की कमी से घावों के भरने में महीनों लग जाते हैं |
यहां नींबू, संतरे, मुसम्मी, टमाटर, हरी मिर्च तथा अन्य हरी सब्जियों, आलू तथा अनेक फलों में मिलता है |


विटामिन ए
इसे संक्रमण रोधी विटामिन भी कहते हैं |
यह अत्यधिक असंतृप्त अल्कोहल है जो वसा में घुलनशील होता है |
पादप के कैरोटीन रंजक से इसका संश्लेषण होता है |
जंतु के यकृत एवं आत्रीय श्लेष्मा की कोशिकाओं में या संचित रहता है |
हम इसे दूध, मक्खन, जिगर, मछलियों के तेल आदि से भी प्राप्त कर सकते हैं |
इसकी कमी से रतौंधी रोग तथा शिशुओं में वृद्धि रुक जाती है |


विटामिन डी
या विटामिन सूर्य की किरणों मक्खन जिगर गुर्दा मछली के तेल आदि से मिलता है |
विटामिन डी के अभाव में टिटैनी रोग हो जाता है |

विटामिन डी का संश्लेषण सूर्य के प्रकाश में उपस्थित पराबैगनी किरणों द्वारा त्वचा के कोलेस्ट्रोल द्वारा होता है |


विटामिन ई
यहां विटामिन तेल, गेहूं, सोयाबीन और अंडों की जर्दी से मिलता है |
इसकी कमी से पुरुष एवं स्त्री दोनों में बंध्यता उत्पन्न हो जाती है पुरुष में शुक्राणु एवं शुक्र जनन नलिकाएं प्रभावित होती हैं जबकि स्त्री में निषेचन के कुछ समय बाद भ्रूण नष्ट हो जाता है अतः इन्हें बांझपन रोधी विटामिन भी कहा जाता है |


विटामिन के
यह यकृत में प्रोथोम्बिन नामक पदार्थ के निर्माण में भाग लेता है अतः यह चोट पर रक्त के थक्के जमने के लिए आवश्यक होता है इसलिए इसे रक्त स्त्राव रोधी पदार्थ कहते हैं |
हरी सब्जियां, टमाटर, गोभी, सोयाबीन, जिगर तथा पनीर में यह विटामिन मिलता है |
इसकी कमी वाले व्यक्तियों का ऑपरेशन आसानी से नहीं किया जा सकता क्योंकि अधिकृत वह जाने का डर बना रहता है अर्थात वह हीमोफीलिया रोग का शिकार होता है |
विटामिन के जीवाणुओं द्वारा हमारे कोलन में संश्लेषित होता है तथा वहां से उसका अवशोषण भी होता है |

विटामिन के रासायनिक नाम vitamin k rasayanik naam

विटामिन रासायनिक नाम
विटामिन Aरेटिनाल
विटामिन B1थाईमिन
विटामिन B2राएबोफ्लेविन
विटामिन B3नियासिन
विटामिन B5पैंटोथैनिक
विटामिन B6पायरी डॉक्सिन
विटामिन B7बायोटीन
विटामिन B11फोलिक अम्ल
विटामिन B12साइनोकोबालामिन
विटामिन Cएस्कोरबिक एसिड
विटामिन Dकैल्शिफेराल
विटामिन Eटोकोफेराल
विटामिन Kफिलोक्विनोन
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FAQ

विटामिन a के स्त्रोत

दूध, मक्खन, जिगर, मछलियों के तेल आदि विटामिन a के स्त्रोत है

विटामिन k का रासायनिक नाम

फिलोक्विनोन

विटामिन D का रासायनिक नाम

कैल्शिफेराल

विटामिन c का रासायनिक नाम

एस्कोरबिक एसिड

हमने आज के आर्टिकल में विटामिन की खोज किसने की थी Vitamin Ki Khoj Kisne Ki Thi के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की और साथ ही विटामिन क्या है और विटामिन कितने प्रकार के होते हैं के बारे बहुत ही अच्छे ढंग से समझा |

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